Sunday, 8 October 2023

mai chahu

मैं चाहूं भी तो तुमको पा नही सकता
और ये बात किसी को समझा नही सकता 
मेरा दिल भी इसी बात को सोच कर रोता है 
ऐसी क्या मोहब्बत जो जता नहीं सकता 



am@n 

Wednesday, 1 December 2021

Triphala Benefits in Hindi



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Triphala Benefits in Hindi

 त्रिफला एक आयुर्वेदिक औषधि है जिसका इस्तेमाल आमतौर पर लोग कब्ज़ दूर करने के लिए करते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि यह सिर्फ़ कब्ज़ दूर करने की ही दवा नहीं है बल्कि इसके अनेकों फायदे हैं। आयुर्वेदिक चिकित्सा में सदियों पहले से त्रिफला का इस्तेमाल होता आया है। त्रिफला चूर्ण को आयुर्वेद में शरीर का कायाकल्प करने वाला रसायन औषधि माना गया है। इस लेख में हम आपको त्रिफला के फायदे और त्रिफला चूर्ण की खुराक के बारे में विस्तार से बता रहे हैं।


त्रिफला क्या है ?

त्रिफला तीन आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों का मिश्रण होता है। ये तीन जड़ी बूटियों निम्न हैं :

  • आंवला
  • बहेड़ा
  • हरड़
इन तीनों फलों के चूर्ण का मिश्रण ही त्रिफला कहलाता है। इसका सेवन हमेशा आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह के अनुसार ही करना चाहिए।

त्रिफला चूर्ण बनाने की विधि

वैसे तो  त्रिफला चूर्ण बाज़ार में आसानी से उपलब्ध है लेकिन अगर आप इसे घर पर भी बनाना चाहें तो इसे आसानी से बना सकते हैं। इसके लिए हरड़ का छिलका, बहेड़े का छिलका और गुठली निकाले हुए आंवला तीनों के 1-1 भाग लेकर उसका बारीक़ चूर्ण बनाकर सुरक्षित रख लें और इसका सेवन करें। 

त्रिफला की सामान्य खुराक

रात को सोते समय 3 से 9 ग्राम त्रिफला चूर्ण गर्म पानी या दूध के साथ ले सकते हैं। इसके अलावा विषम भाग घी या शहद के साथ भी इसे लिया जा सकता है।


त्रिफला के फायदे

त्रिफला को हर उम्र के लोग रसायन औषधि के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके अलावा त्रिफला के नियमित सेवन से पेट से जुड़ी बीमारियों से बचाव होता है। यह औषधि डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर जैसे गंभीर रोगों में भी लाभकारी है। आइये इसके कुछ प्रमुख फायदों के बारे में विस्तार से जानते हैं।


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कब्ज़ दूर करने में सहायक

आयुर्वेद में कब्ज़ को कई गंभीर रोगों की जड़ बताया गया है। अगर आप कब्ज़ से पीड़ित हैं तो आगे चलकर बवासीर, भगंदर जैसी कई गंभीर बीमारियां हो सकती हैं। त्रिफला




कब्ज़ दूर करने की कारगर औषधि मानी जाती है। यह पुराने कब्ज़ से पीड़ित मरीजों के लिए भी बहुत उपयोगी है।

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Friday, 27 August 2021

हृदय संबंधित समस्याओं के लिए कब चेकअप कराना चाहिए?

हृदय संबंधित समस्याओं के लिए कब चेकअप कराना चाहिए?

35 वर्ष से अधिक आयु का कोई भी व्यक्ति या जिसे उच्च कोलेस्ट्रॉल, बी.पी., डायबिटीज, मोटापा या हृदय संबंधित समस्याओं का पारिवारिक इतिहास हो, ऐसे व्यक्ति को नियमित हृदय जाँच जरूर करानी चाहिए। लक्षण दिखाई देने से पहले 2डी ईको और टी.एम.टी. जैसी जाँचें, हार्ट ब्लॉकेज का पता लगाने में मदद कर सकती है। यदि किसी को सीने में दर्द, सांस लेने में तकलीफ, थकान, अनियमित या तेज दिल की धड़कन आदि जैसे लक्षण हो तो उन्हे तुरंत कार्डियोलॉजिस्ट से सलाह लेनी चाहिए।



क्या हर सीने में दर्द हार्ट अटैक का लक्षण होता है? इनमें अंतर कैसे करें और तुरंत क्या किया जाना चाहिए?
सभी सीने में दर्द हार्ट अटैक के संकेत नहीं होते है। अगर आपको छाती के बीच में या आपकी बाहों, कमर के ऊपरी हिस्से में, जबड़े, गर्दन या पेट के ऊपरी हिस्से में नये तरह का दर्द हो जो 5 मिनट से भी ज्यादा हो, साथ ही सांस लेने में तकलीफ, ठंडा पसीना, जी घबराना, थकान या चक्कर आना जैसे लक्षण हो तो यह लक्षण हार्ट अटैक के सूचक हो सकते है। हालांकि, अगर सीने का दर्द क्षणिक है या सुई की चुभन जैसा है तो यह अन्य कारणों से भी हो सकता है। सीने में दर्द होने पर हमेशा डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।
क्या इस कोरोना के समय में हार्ट अटैक होने पर इमरजेंसी ट्रीटमेंट दिया जा रहा है?
हाँ, हार्ट अटैक, ब्रेन स्ट्रोक या अन्य किसी भी मेडिकल इमरजेंसी में सरकार द्वारा निर्धारित सभी सुरक्षा नियमों का पालन करते हुए इमरजेंसी ट्रीटमेंट दिया जा रहा है। जिन मरीजों को हार्ट अटैक के लक्षण सामने आ रहे हैं, उन्हेंं हृदय को अत्याधिक नुकसान से बचाने के लिए जल्द से जल्द अस्पताल की इमरजेंसी में आना चाहिए।
कई बार हृदय धमनी रोग वाले मरीजों को उपचार की अलग-अलग सलाह दी जाती है (सर्जरी / स्टेंटिंग)।  ऐसे मामलों में क्या करना चाहिए?
उपचार प्रणाली का निर्णय लेने में कई कारक शामिल है जैसे रोग की जटिलता, कितनी रक्त वाहिकाएं प्रभावित हैं, डायबिटीज, मरीज की उम्र, मेडिकल हिस्ट्री आदि। इन्हीं कारकों का पता लगाकर यह तय किया जाता है कि इलाज की कौनसी विधि मरीज के लिए अधिक सुरक्षित और प्रभावी हो सकती है। जब मरीज के केस में इलाज का सबसे उपयुक्त विकल्प स्पष्ट नहीं होता या उपचार के कई विकल्प संभव होते हैं तो मूल्यांकन के लिए केस हार्ट टीम को दिया जाता है। हार्ट टीम में एक कार्डियोलॉजिस्ट, कार्डियक सर्जन और इमेजिंग विशेषज्ञ शामिल होते हैं जो संयुक्त रूप से केस की समीक्षा करते हैं और इलाज का सबसे उपयुक्त विकल्प की सलाह देते हैं। ऐसे मामलों में निर्णय लेने के लिए अत्याधुनिक डायग्नोस्टिक तकनीके भी काफी मददगार होती है।
अगर एंजियोप्लास्टी या सर्जरी के बाद हृदय संबंधित समस्याएं फिर से होने लगें तो क्या दोबारा सर्जरी या एंजियोप्लास्टी संभव है और क्या यह सुरक्षित है?
बढ़ती जीवन प्रत्याशा के साथ अब रिपीट या री-डू हार्ट प्रोसीजर या सर्जरी (दूसरी, तीसरी या चौथी बार हृदय की सर्जरी) बहुत सामान्य हो गए हैं और एडवांस्ड हार्ट सेंटर्स में बहुत अच्छी सफलता दर के साथ किये जा रहे हैं। इस तरह की सर्जरी काफी जटिल होती हैं और इन सर्जरी में व्यापक अनुभव और सटीकता के साथ बेहतरीन पोस्ट-ऑपरेटिव केयर की आवश्यकता होती है क्योंकि मरीज की रिकवरी इसी पर निर्भर होती है।


Sunday, 15 August 2021

सर्दियों में खाएं ये हरी सब्जिया और सेहत को रखे फिट। Sardiyo me Khaye Ye Hari Sabjiya aur Sehat ko Rakhe Fit

 Hari Sabjiya Aur Sehat Ko Rakhe Fit Meaning 

सर्दियों के मौसम आते ही लोग अपने भोजन में बहुत तरह के बदलाव करना शुरू कर देते है। जैसे ठंडी चीजे की तरह गर्म खाना केवल पसंद करते है। सर्दियों में भारत में हरी सब्जियों की पैदावार अधिक होती है, जिसके कारण लोग अधिकतर हरी सब्जिया लेना सही समझते है। हरी सब्जिया में भरपूर मात्रा में विटामिन और खनिज होता है जो कई तरह के रोगो से बचाने का काम करती है। इसके अलावा हरी सब्जिया हड्डिया की कमजोरी व आयरन की कमी को दूर करने में मदद करता है। अक्सर लोग समझते है, भोजन में थोड़ा धनिया डालने से एंटीऑक्सीडेंट की पूर्ति कर सकते है। लेकिन यह संभव नहीं है, क्योंकि हरी पत्तेदार सब्जियों में अधिक मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट एव कैल्शियम, फाइबर होता है। इसलिए सर्दियों में मौसमी सब्जियों का आंनद लेना चाहिए। इस लेख में सर्दिया के मौसम में हरी सब्जियों के फायदे के बारे में विस्तार से बतायेंगे।



सर्दियों में हरी सब्जी खाने के स्वास्थ्य लाभ ? Sardiyo me Hari Sabji Khane Ke Swasthy Labh

सर्दियों में हरी सब्जी खाने के निम्नलिखित स्वास्थ्य लाभ है।

  • मेथी – मेथी के बीज घरेलु उपचार के लिए उपयोग किये जाते है, उसी तरह मेथी की पत्तिया सेहत के लिए फायदेमंद है। इसमें घुलनशील फाइबर, कैल्शियम, मैग्नीशियम, आयरन भरपूर मात्रा होता है। इसमें अच्छी मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट पाया जाता है। मेथी की पत्तिया स्तनपान वाली महिलाओं के दूध उत्पादक उत्पन्न करता है। इसके अलावा मेथी पुरुषो में होने वाले टेस्टोटेरियन के स्तर को बढ़ाता है। डायबिटीज के मरीज के लिए मेथी जड़ी बूटी की तरह काम करता है। यह शुगर के स्तर को नियंत्रित करता है। कोलेस्ट्रॉल को सामन्य करता है। अगर पाचन क्रिया कमजोर है तो मेथी का सेवन करने से पाचन क्रिया मजबूत होती है। अगर किसी तरह का सूजन है तो उसे भी कम करने का काम मेथी करता है। 
  • सरसो का साग – सरसो के साग और मक्के की रोटी का नाम अपने कई पंजाबियो से सुना होगा। सर्दियों में सरसो के साग और मक्के की रोटी के साथ थोड़ा धी डालकर सेवन करना स्वाद को दुगना करता है। सरसो की पत्तिया में विटामिन ए, सी, ई, और के उपस्थित है। इसके अलावा कैल्शियम, मैग्नीशियम, मेगनीज, जिंक, घुलनशील फाइबर है। यह पाचन शक्ति को मजबूत कर कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में मदद करता है।
  • बथुआ – सर्दियों के मौसम में बथुआ की पैदावार अधिक होती है। बथुआ को उत्तर प्रदेश, बिहार, बंगाल व राजस्थान में बहुत चाव से खाया जाता है। बथुआ पत्तियों वाली सब्जी है, इसमें उच्च मात्रा में विटामिन ए, सी व बी काम्प्लेक्स है। इसके अलावा आयरन, कैल्शियम, पोटेशियम, फास्फोरस्क होता है। यह हड्डियों को मजबूत बनाने में एव लिवर के स्वास्थ्य को बेहतर करता है। बथुआ को बनाने का तरीका बहुत सरल है इसे चने के साथ मिलाकर बना सकते है। इसके अलावा बथुआ को चिकन के साथ बनाकर खा सकते है।
  • हल्दी – हल्दी में अनेको औषधीय गुणों का समावेश होता है जो कई तरह के रोगो की रोकथाम करने में मदद करता है। इसमें अच्छी मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट, एन्टीबैक्टिरीयल व एंटी बायोटिक गुण मौजूद होता है, यह शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करता है। हल्दी की पत्तिया अधिक लाभदायक होती है। यह वजन कम करने में मदद करती है। सूजन से जुडी समस्या को भी दूर करती है। इसकी गुणवत्ता के आधार पर इसे अपनी डाइट में शामिल कर सकते है। 
  • अरबी – अरबी के जड़ औषधीय बनाने के लिए उपयोग में लाया जाता है। अरबी की पत्तियों का उपयोग साग के रूप में किया जाता है। इसमें बहुत से पोषक तत्व उपस्थित रहते है जो शरीर को मजबूत कर कई तरह के रोगो से बचाते है। अरबी खास तौर पर महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात, आंध्रप्रदेश में प्रसिद्ध सब्जी है। इसमें विटामिन ए, सी व आयरन, घुलनशील फाइबर व फॉलिक एसिड होता है। अरबी शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। ये सब्जी आंखो की चमक व कोलेस्ट्रॉल को कम कर बीपी को सामान्य करता है। आपके वजन को कम करने में मदद करता है।
  • कल्मी – कल्मी एक ऐसी सब्जी है जो नदी के तटीय इलाको पर उगाई जाती है। इसका सेवन अधिकार बंगाल व दक्षिण भारत में किया जाता है। इस सब्जी में अच्छी मात्रा में घुलनशील फाइबर, कैल्शियम, प्रोटीन व आयरन होता है। यह शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करता है। ये सब्जी लिवर की बीमारियों को कम करती है। इसके अलावा खून की कमी को दूर करती है। हृदय रोगी व डायबिटीज के मरीजों के लिए कल्मी बहुत फायदेमंद सब्जी है। अपने आहार में कल्मी को जरूर शामिल करें।
  • सहजन व मोरिंगा – सहजन की पत्तिया का सेवन सर्दियों में अधिक किया जाता है। यह शरीर में ऊर्जा को बढ़ाती है साथ ही कई तरह के रोगो के जोखिम को कम करती है। सहजन की पत्तियों को कुपोषण पीड़ित को दिया जाता है ताकि मरीज कुपोषण से बाहर निकल सके। इसमें अच्छी मात्रा में विटामिन और खनिज उपस्थित है जो डायबिटीज के स्तर को कम करता है व आम संक्रमण से बचाव करता है।
  • पालक – पालक एक ऐसी हरी सब्जी है, इसमें विटामिन ए, सी, डी, के एव फाइबर, आयरन, कैल्शियम, मैग्नीशियम उच्च मात्रा में होता है। आपको रोजाना पालक का सेवन करना चाहिए। इससे आपको खून की कमी, हृदय रोग, बैक्टीरियल, वायरल संक्रमण का जोखिम नहीं होगा। जैसा की आपको पता है पालक आंखो की रोशनी को बढ़ाने में मदद करता है और साथ में हड्डियों की समस्या को कम करता है।


आंतो में सूजन क्या हैं । Ulcerative Colitis

आंतो में सूजन क्या हैं ?

आंतो में सूजन को अंग्रेजी में अल्सरेटिव कोलाइटिस कहा जाता है। यह आंत में होने वाली सूजन है जो पाचन तंत्र में लंबे समय से अल्सर का कारण बन सकता है। आंत का सूजन बड़ी आंत मलाशय के भीतरी भाग को प्रभावित करता है। आंत में सूजन के लक्षण जल्दी के बजाय धीरे -धीरे विकसित होते है। कुछ मामलो में आंत में सूजन गंभीर समस्या उत्पन्न करता है। आंत में सूजन का सटीक इलाज अभी उपलब्ध नहीं है, लेकिन चिकिस्तक लक्षणो को कम करने के लिए दवाएं की खुराक देते है और गंभीर मामलो में सर्जरी की सिफारिश कर सकते है। चलिए आज के लेख में आपको आंतो में सूजन क्या हैं? के बारे में विस्तार से बताने वाले हैं।


आंतो में सूजन के कारण ? Causes of Ulcerative Colitis 

आंतों में सूजन का सटीक कारण अभी तक ज्ञात नहीं हुआ है। हालांकि अवसाद व आहार कारण माना जा सकता है लेकिन चिकिस्तक के मुताबिक आंत में सूजन का कोई स्पष्ट कारण ही नहीं है। कुछ जोखिम कारक जिम्मेदार हो सकते है। 

  • यदि व्यक्ति की रोगप्रतिरोधक क्षमता कमजोर है तो जीवाणु जल्दी आक्रमण करता है और व्यक्ति बीमार पड़ने लगता है। इसके अलावा आंत को नुकसान पहुंचता है। 
  • कुछ मामलो में आंत की सूजन की समस्या अनुवांशिक होती है। यदि परिवार का कोई एक सदस्य आंत में सूजन की समस्या से पीड़ित है तो अन्य सदस्य भी आंत की समस्या से पीड़ित हो सकता है। 
  • आंत में सूजन की समस्या महिला और पुरुष दोनों को सामान्य रूप से प्रभावित करता है। 
  • आमतौर पर 30 की उम्र के पहले शुरू हो सकता है, लेकिन किसी भी उम्र के लोग को आंत में सूजन की समस्या होती है। 
  • यदि आपके माता -पिता को आंत में सूजन की समस्या हुई तो आपको भी जोखिम हो सकता है। 
  • कुछ अध्ययन के अनुसार मुंहासे की इलाज में उपयोग करने वाली दवा से आईबीडी डिजीज का जोखिम हो सकता है। हालांकि कोई स्पष्टीकरण नहीं है।

आंतो में सूजन के लक्षण ? Symptoms of Ulcerative Colitis 

आंत में सूजन के लक्षण निम्नलिखित हो सकते है। चलिए आगे बताते हैं। 

  • गुदा में दर्द होना। 
  • बुखार आना। 
  • पेट में दर्द होना। 
  • पेट में ऐंठन होना। 
  • बार -बार मल त्यागने की इच्छा होना। 
  • थकान महसूस होना। 
  • बच्चों में शारीरिक वृद्धि न होना। 
  • वजन घटाना। 
  • दस्त होना। 
  • रक्त में मवाद आना

आंतो में सूजन के निदान ? Diagnoses of Ulcerative Colitis 

आंतो में सूजन का निदान करने के लिए चिकिस्तक सबसे पहले सामान्य परीक्षण करते है जिसमे आपके लक्षण व पिछली बीमारी के इतिहास के बारे पूछते है। हालांकि लक्षण के अनुसार चिकिस्तक अन्य परीक्षण कर सकते हैं। 

  • ब्लड टेस्ट – संक्रमण व एनीमिया का पता लगाने के लिए ब्लड टेस्ट किया जाता हैं। 
  • मल टेस्ट – आपके मल में सफेद रक्त कोशिकाओं या कुछ प्रोटीन अल्सरेटिव कोलाइटिस का संकेत कर सकते हैं। स्टूल का नमूना बैक्टीरिया, वायरस और परजीवी के कारण होने वाले संक्रमण जैसे अन्य विकारों का निदान करने मे मदद करता है। 
  • कोलोनोस्कोपी – इस प्रक्रिया में चिकिस्तक एक छोटा कैमरा से जुडी पतली व लचीली व रौशनी ट्यूब का उपयोग कर पूरी शरीर के आंत को देखते है। इसके अलावा परीक्षण के दौरान ऊतक से छोटा नमूना जांच के लिए ले सकते है। 
  • फ्लैक्सिबल सिग्मोईडोस्कोपी – इस जांच प्रक्रिया में चिकिस्तक बड़ी आंत या मलाशय की जांच करता है। इसके लिए एक पतली लचीली रौशनी का उपयोग करते है। आंत में गंभीर रूप से सूजन है तो चिकिस्तक पूरा कोलोंस्कोपी की जगह यह परीक्षण करते है। 
  • सिटी स्कैन – यदि चिकिस्तक आंत में किसी तरह की जटिलता का संकेत लगता है मरीज के पेट का सिटी स्कैन कर सकता है। हालांकि सिटी स्कैन सूजन को अच्छी तरह दर्शाता है। 
  • एक्स -रे – मरीज के लक्षण गंभीर है तो चिकिस्तक निदान करने के लिए पेट का एक्स रे निकाल सकता है, ताकि बड़ी आंत के हिस्से को देख सके कितना प्रभावित है या नहीं।

आंतो में सूजन का इलाज ? Treatments for Ulcerative Colitis

अल्सरेटिव कोलाइटिस का उपचार आमतोर दवा या सर्जरी के माध्यम से किया जाता है। चिकिस्तक के उपचार का उद्देश्य सूजन को कम करना ताकि होने वाले लक्षण को कम किया जा सकें। 

  • अल्सरेटिव कोलाइटिस का सूजन कम करने के लिए चिकिस्तक कुछ दवाओं की खुराक देता है। इन दवाओं में मेंसालामाईन, सल्फासालजिन, बाल्सालाजीड शामिल है। यह दवाएं सूजन को कम कर लक्षण को नियंत्रित करता है। अत्यधिक गंभीर लक्षण को कम करने चिकिस्तक एंटीबायोटिक दवाएं का उपयोग करते है। 
  • यदि अत्यधिक रक्तस्राव या कमजोर करने वाले लक्षण नजर आते है। इसके अलावा बड़ी आंत के हिस्से में छेद या गंभीर ब्लॉकेज होते है तो चिकिस्तक सर्जरी करने की सिफारिश करते है। परीक्षण के लिए कोलोनोस्कोपी व सिटी स्कैन का उपयोग करते है। 
  • मरीज के लक्षण अत्यधिक गंभीर होने पर निर्जलीकरण होने लगता है। इन गंभीर समस्या को देखते हुए अस्पताल में भर्ती होना पड़ता है।

आंतो में सूजन से बचाव ? Prevention of Ulcerative Colitis 

आंत में सूजन का कोई सटीक कारण का पता चल नहीं पाया है। हालांकि कुछ निम्न उपाय बचाव करने में फायदेमंद हो सकता है। 

  • फैट युक्त खाद्य पदार्थ कम खाना चाहिए। 
  • दिन भर में भोजन थोड़ा -थोड़ा कर खाएं। 
  • पुरे दिन में थोड़ा -थोड़ा कर पानी पीना चाहिए। 
  • फाइबर युक्त आहार सीमित मात्रा में करना चाहिए। 
  • दूध अत्यधिक के बजाय थोड़ा पीना चाहिए।


एलोवेरा के फायदे और नुकसान। Benefits and Side-Effects of Aloe Vera

 एलोवेरा को हिंदी में धृतकुमारी के नाम से जाना जाता है। एलोवेरा एक तरह आयुर्वेदिक औषधीय है। यह बहुत सी बीमारियों को दूर करने में मदद करता है। एलोवेरा अपने गुणों के लिए लोगो में बहुत अधिक लोकप्रिय है। भारत के साथ कई देशो में एलोवेरा औषधीय के रूप में उपयोग किया जाता है। एलोवेरा एक रसीला पौधा है। इसकी पत्तियों को काटकर इसमें से जेल निकाला जाता है। यह बहुत से गंभीर बीमारियों के लिए उपयोग किया जाता है। इसके अलावा कुष्ठरोग का भी उपचार करता है। इस लेख में एलोवेरा के फायदे और नुकसान के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त करेंगे।


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एलोवेरा के पौष्टिक तत्व और खनिज क्या है ? What are the Nutrients and Minerals Found in Aloe Vera

एलोवेरा में विटामिन ए (बीटा-कैरोटीन), सी, ई, फोलिक एसिड और कोलीन सहित कई विटामिन और खनिजों की थोड़ी मात्रा होती है,और इसके साथ ही एंटीऑक्सिडेंट भी होते हैं जो मुक्त कणों से लड़ने में मदद करते हैं। यह शरीर के लिए लाभदायक होता है।

एलोवेरा के फायदे क्या है ? What are the Benefits of Aloe Vera

एलोवेरा के निम्नलिखित फायदे हो सकते है।

  • मुंहासे को दूर करने के लिए – मुंहासे की समस्या त्वचा में अधिक तैलिय होने के कारण त्वचा में मुंहासे निकल आते है। इन मुंहासे की समस्या को दूर करने के लिए एलोवेरा जेल का उपयोग दिन में दो बार मुंहासे पर करना चाहिए। ऐसा करने से मुंहासे धीरे-धीरे समाप्त होने लगते है।
  • त्वचा के लिए – त्वचा से सम्बंधित विभिन्न समस्याओं के लिए एलोवेरा जेल बहुत लाभदायक होता है। एलोवेरा जेल त्वचा को हाइड्रेड व पोषक तत्व प्रदान करता है। यह त्वचा के कटे- जले, चोट,दाग धब्बे को दूर करने में सहायता करता है। इसके अलावा त्वचा इन्फेक्शन को भी ठीक करता है।
  • कब्ज के लिए – कब्ज एक ऐसी समस्या है जिससे बड़े बच्चे हर कोई परेशान रहता है। इन समस्याओ को दूर करने के लिए एलोवेरा के रस का सेवन करना चाहिए, इससे व्यक्ति को मल त्यागने में आसानी होगी और कब्ज की समस्या से राहत मिलता है। अगर आपको कब्ज की समस्या है तो एलोवेरा का रस जरूर पीये और कब्ज से छुटकारा पाए।
  • वजन घटाने में – अपने बढ़ते वजन को कम करने के लिए रोजाना एलोवेरा रस का सेवन करना चाहिए। एलोवेरा रस में कुछ ऐसे खनिज और एंटीऑक्सीडेंट होते है। जो चर्बी को कम करते है। वजन को बढ़ने नहीं दते है। इससे वजन नियंत्रित रहता है। वजन नियंत्रित रहने सेकिसी प्रकार की बीमारी अधिक नहीं होती है।
  • उच्च कोलेस्ट्रॉल को कम करने में – शरीर में कोलेस्ट्रॉल होना जरुरी होता है। लेकिन अधिक मात्रा में कोलेस्ट्रॉल होने से अनेको प्रकार की समस्या होती है। बुरा कोलेस्ट्रॉल बढ़ने से हृदय को नुकसान होते है। अधिक मात्रा में एलोवेरा का उपयोग करने से कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ती है।

एलोवेरा के नुकसान क्या है ? What are the Side-Effects of Aloe Vera

एलोवेरा के बहुत से फायदे होते है। लेकिन इन फायदों के साथ-साथ कुछ नुकसान भी होते है।

  • एलोवेरा को लगाने की सलाह दी जाती है। अगर किसी व्यक्ति को एलोवेरा का रस पीना है, पहले अपने चिकिस्तक की सलाह ले क्योंकि इसके रस हानिकारक भी हो सकते है।
  • गर्भवती महिला और स्तनपान करने वाली महिलाओ को एलोवेरा रस के सेवन से बचना चाहिए। क्योंकि उनके स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक हो सकता है।
  • एलोवेरा का अधिक मात्रा में रस का सेवन नहीं करना चाहिए, यह रक्त का निर्माण तो करता है। लेकिन यह गुर्दे को क्षति पहुंचाता है।
  • एलोवेरा का रस का सेवन अधिक ना करे केवल खुराक की तरह ही ले नहीं तो दस्त की समस्या हो सकती है। 



तुलसी अर्क के फायदे और नुकसान। Benefits And Side Effects of Tulsi

 तुलसी के बहुत से फायदे के बारे में सभी जानते होंगे, यह हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद होता हैं। शायद बहुत से लोग पता नहीं होगा तुलसी के अर्क में कई तरह पोषक होते है जो बीमारियों से लड़ने में मदद करता हैं। व्यक्ति के तनाव को कम करने में तुलसी अर्क उपयोगी माना जाता है। इसके अलावा सूजन को ठीक करने में, शुगर को नियंत्रित करने में, त्वचा की स्वास्थ्य को ठीक करने व प्रतिशा प्रणाली को मजबूत करने में मदद करता हैं। आज के इस लेख में तुलसी के अर्क के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त करेंगे। 


तुलसी अर्क क्या हैं ? What is Tulsi Ark 

तुलसी एक बहुत प्रसिद्ध जड़ी बूटी है जो सभी जड़ी बूटी में खास माना जाता हैं। तुलसी का उपयोग औषधीय में किया जाता है। आपको बता दे तुलसी के सभी भाग जैसे पत्ती, फूल, तना, जड़, फल आदि बहुत लाभदायक होते है। तुलसी के अर्क में बहुत से गुण पाये जाते है, क्योंकि अर्क में सभी चीजे सम्मिलत होती है। यानि तुलसी के पौधे के सभी भागो का मिश्रण मिला हुआ रहता हैं। तुलसी के अर्क को तुलसी का रस भी कह सकते हैं। तुलसी का उपयोग स्वास्थ्य को ठीक करने के लिए किया जाता हैं।


तुलसी के पोषक तत्व क्या हैं ? What are the nutrients and minerals in Tulsi Ark 

तुलसी में भरपूर मात्रा में पोषक तत्व मौजूद होता है। इसमें अच्छी मात्रा में प्रोटीन होता है और एंटीऑक्सीडेंट होता है। इसके अलावा विटामिन ए, विटामिन सी, विटामिन के, फोलेट पाया जाता है। खनिजों में आयरन, मैग्नीशियम, पोटेशियम, सोडियम, कैल्शियम की अच्छी मात्रा में पाई जाती हैं। तुलसी के अर्क में बीमारियों से बचाने में मदद करता हैं। 

तुलसी अर्क के फायदे क्या हैं ? What are benefits of Tulsi Ark

तुलसी अर्क के बहुत से फायदे हैं। 

  • वजन कम करने में तुलसी अर्क – तुलसी उच्च रक्त स्तर को कम करने में फायदेमन्द रहता है। कुछ अध्ययन के अनुसार तुलसी ग्लूकोज व रक्त कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम कर सकते हैं। इन दोनों के बढ़ने से वजन बढ़ने लगता है। तुलसी के अर्क में वजन कम करने का गुण होता हैं। यदि बढ़ते वजन को कम करना चाहते है, तो तुलसी के अर्क का उपयोग करना चाहिए। मोटापे के रोगियों को तुलसी के अर्क की गोलीया दी जाती है। जिसकी मात्रा 250 मिली ग्राम होती हैं।
  • तुलसी रस के फायदे कैंसर में  तुलसी एक अच्छी औषधीय मानी जाती है जो कैंसर के रोग का उपचार में फायदेमंद होता है। कुछ शोध के अनुसार तुलसी के अर्क में कई तरह के गुण उपस्थित होते है जो कैंसर की कोशिकाओं को नष्ट करने में मदद करते है। तुलसी में फाइटोकेमिकल्‍स,रोस्‍मरिनिक एसिड, मायरेटेनल , ल्‍यूटोलिन और एपिगेनिन आदि मौजूद रहता है। यह कैंसर को कम करने में महत्वपूर्ण होता है। तुलसी के अर्क स्तन कैंसर की समस्या को रोकने में फायदेमंद रहता हैं
  • तुलसी अर्क के फायदे तनाव दूर करने में  तुलसी के अर्क का उपयोग तनाव दूर करने में फायदेमंद होता है। कुछ अध्ययन के अनुसार तुलसी के अर्क में प्राकृतिक दवा की तरह काम करती है। तुलसी के अर्क में बहुत से गुण होते है जो हार्मोन को सामान्य करने में मदद करता है। नियमित रूप से तुलसी की पत्तियों का सेवन करते है, तो तनाव व अन्य बीमारियों की समस्या को कम करता हैं। 
  • रक्त शर्करा को नियंत्रित करने में तुलसी अर्क के फायदे – डायबिटीज के मरीज के लिए तुलसी एक महत्वपूर्ण औषधीय मानी गयी है। ऐसा, इसलिए इसमें रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने की क्षमता होती है। इसमें बहुत से विटामिन और खनिज का समावेश होता है जो इंसुलिन को बढ़ावा देता हैं। तुलसी के अर्क में बहुत से पोषक तत्व होते है जो डायबिटीज टाइप 2 के मरीज के लिए फायदेमंद होता हैं। तुलसी में सैपोनिन्स, ट्राइटरपेन्‍स और फ्लैवोनोइड्स होते हैं जो प्रभावी होते है।
  • रोग प्रतिरोध क्षमता बढ़ाने में – तुलसी के अर्क में बहुत से पोषक तत्व पाये जाते है जो शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद करता हैं। रोजाना तुलसी की पत्तियों का सेवन करना चाहिए, ताकि आप की इम्युनिटी बढ़ जाए और कभी बीमार होने की संभावना न बने।

तुलसी अर्क के नुकसान क्या हैं ? What are the Side-Effects of Tulsi Ark

तुलसी अर्क के फायदे तो कई है, किंतु कुछ दुर्लभ स्तिथि में नुकसान हो सकता हैं। 

  • तुलसी अर्क रक्त के थक्के को जमने से रोकता है जिसके वजह से रक्त स्राव में वृद्धि हो सकती हैं। इसलिए तुलसी के अर्क का अधिक उपयोग नहीं करना चाहिए। 
  • यदि आपका रक्तचाप सामान्य है, तो तुलसी के अर्क का उपयोग नहीं करना चाहिए। तुलसी के अर्क रक्तचाप के स्तर को कम कर सकता है जो जान का जोखिम बढ़ा सकता हैं। 
  • स्तनपान करने वाली महिलाओं और गर्भवती महिला को तुलसी के अर्क का सेवन नहीं करना चाहिए, उनके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता हैं।


mai chahu

मैं चाहूं भी तो तुमको पा नही सकता और ये बात किसी को समझा नही सकता  मेरा दिल भी इसी बात को सोच कर रोता है  ऐसी क्या मोहब्बत जो जता नहीं सकता ...